वर्णों का जादू

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Sunday, May 3, 2020

यादें


29 फरवरी 2020"यक्षिणी" –डॉ. विद्या चौधरी , पटना

कौन हूँ मैं एक सुंदर काया 
सिर्फ नारी सौंदर्य की मूर्ति ।
प्रस्तर पर उकेरा जिसने 
माना  केवल अभिव्यक्ति ।
हूँ मैं नारी का विराट रूप 
किसी ने मेरे स्वरूप को पहचाना नहीं ।
भूल गया नर नारी का अवदान 
दे दिया उसने यक्षिणी का नाम ।
हे नर! कब तुम समझोगे 
नारी का बलिदान ।
कब तक करोगे उसके
पौरूष  का अपमान ।

4 comments:

  1. बहुत बढ़िया पहल । ढ़ेरों शुभकामनाएं । संगीता गोविल

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  2. वाह बहुत सुन्दर! हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  3. बहुत शानदार।
    मधुरेश नारायण

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