29 फरवरी 2020"यक्षिणी" –डॉ. विद्या चौधरी , पटना
कौन हूँ मैं एक सुंदर काया
सिर्फ नारी सौंदर्य की मूर्ति ।
प्रस्तर पर उकेरा जिसने
माना केवल अभिव्यक्ति ।
हूँ मैं नारी का विराट रूप
किसी ने मेरे स्वरूप को पहचाना नहीं ।
भूल गया नर नारी का अवदान
दे दिया उसने यक्षिणी का नाम ।
हे नर! कब तुम समझोगे
नारी का बलिदान ।
कब तक करोगे उसके
पौरूष का अपमान ।
बहुत बढ़िया पहल । ढ़ेरों शुभकामनाएं । संगीता गोविल
ReplyDeleteवाह बहुत सुन्दर! हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत शानदार।
ReplyDeleteमधुरेश नारायण