वर्णों का जादू

वर्णों का जादू

Wednesday, May 13, 2020

“लॉकडाउन में वर्चुअल (ऑनलाइन) गोष्ठी से अच्छा कोई विकल्प नहीं।”






“साहित्यिक लोगों के लिए वर्चुअल (ऑनलाइन) सुविधा वरदान की तरह है।  वे इस समय सीखने और सिखाने का कार्य कर सकते हैं, और कर भी रहे हैं...। लॉकडाउन में हर वक़्त घर में रहने के कारण कई लोग परेशान होकर चिड़चिड़ेपन का शिकार हो रहे हैं। उन सबके लिए वर्चुअल(ऑनलाइन) साहित्यिक गोष्ठी एक अमृत के समान है। हर महीने ऐसी गोष्ठी का आयोजन होता रहे...”, उक्त बातें पटना के वरिष्ठ कवि घनश्याम जी ने पटना के साहित्यिक संस्था ‘लेख्य-मंजूषा' की वर्चुअल (ऑनलाइन) गोष्ठी में कहा। 
‘मातृ-दिवस’ के अवसर पर लेख्य मंजूषा की मासिक वर्चुअल(ऑनलाइन) गोष्ठी मोबाइल एप्लीकेशन ‘गूगल मीट’ के जरिये हुई। इस गोष्ठी में बिहार से लेकर अमेरिका तक के साहित्यकारों ने एक साथ भागीदारी सुनिश्चित किया। कुल चौबीस रचनाकारों की उपस्थिति से गोष्ठी सफल हुई। 
कैलिफोर्निया/अमेरिका से उपेंद्र सिंह ने ‘तेरी याद आयी माँ' की कविता से गोष्ठी की शुरुआत किया।कैलिफोर्निया से ही उर्मिला वर्मा और लेख्य-मंजूषा की अध्यक्ष विभा रानी श्रीवास्तव जुड़ी। रविवार 10 मई 2020 मातृ-दिवस के अवसर पर सभी साहित्यकारों ने अपनी-अपनी रचना का पाठ ऑनलाइन किया। कार्यक्रम के अंत में उपन्यासकार अभिलाष दत्त ने उपन्यास लेखन पर अपने विचार रखा। उपन्यास लिखने के लिए मूलभूत सिद्धांतो के बारे में उन्होंने बताया। 
वर्चुअल गोष्ठी में साहित्यकार राहुल शिवाय माँ पर लिखित गीत व घनाक्षरी के साथ उपस्थित थे। इंदौर से ऋतु कुशवाहा और दिल्ली में कोरोना बीमारी में मरीज़ों का इलाज कर रहे डॉ. रविन्द्र सिंह यादव अपनी रचनाओं के साथ उपस्थित थे।
इसके साथ ही कार्यक्रम में आरा से डॉ. प्रियंका सिंह, पटना से डॉ. पूनम देवा, वरिष्ठ कवि मधुरेश नारायण, ग़ज़लकार सुनील कुमार,  अमृता सिन्हा,  सीमा रानी, रवि श्रीवास्तव, अभिलाषा कुमारी, नूतन सिन्हा, पूनम कतरियार, ज्योति स्पर्श, राजकांता राज, श्रुत कृति अग्रवाल, सुधा पांडेय आदि उपस्थित थे।



4 comments:

  1. बहुत सुंदरता से लेख्य-मंजूषा के कदम आगे बढ़ रहे हैं। इसमें जिन्होंने मेहनत की है उनको कोटि-कोटि नमस्कार।
    संगीता गोविल

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  2. लेख्यमंजूषा का बढ़ता कदम बहुत प्यार और सराहनीय लगा। हमारी मंजूषा आगे बढ़ रही है देख बहुत गर्व महसूस हो रहा है। इसकी साज सज्जा करने वाले को बहुत बधाई।
    प्रियंका श्रीवास्तव 'शुभ्र'

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  3. रचनाओं का उम्दा संयोजन। बहुत सुंदर ब्लॉग।

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  4. लेख मंजूषा का बढ़ता कदम बहुत सराहनीय है।
    बहुत बहुत बधाई।

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